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Bolna hi hai

रवीश कुमार द्वारा लिखित "बोलना ही है: लोकतंत्र, संस्कृति और राष्ट्र के बारे में" एक निर्भीक और सामयिक पुस्तक है ... Show more
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रवीश कुमार द्वारा लिखित “बोलना ही है: लोकतंत्र, संस्कृति और राष्ट्र के बारे में” एक निर्भीक और सामयिक पुस्तक है जो भारतीय लोकतंत्र, संस्कृति और राष्ट्र के बारे में कई तीखे सवाल उठाती है। यह ईबुक आपको उन विषयों पर सोचने के लिए मजबूर करेगी जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।

इस ईबुक में आप सीखेंगे:

  • गोदी मीडिया की सच्चाई: रवीश कुमार बेबाकी से बताते हैं कि कैसे मीडिया अब सरकार से सवाल पूछने के बजाय उसका समर्थन करने में लगा है और क्यों यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
  • डर और चुप्पी का माहौल: यह पुस्तक बताती है कि कैसे समाज में एक ऐसा माहौल बना दिया गया है जहाँ लोग अपनी राय रखने से डरते हैं और चुप रहना पसंद करते हैं।
  • राष्ट्र और नागरिकता की परिभाषा: रवीश कुमार राष्ट्रवाद की नई परिभाषाओं पर सवाल उठाते हैं और बताते हैं कि कैसे संस्कृति और नागरिकता को राजनीति से जोड़ा जा रहा है।
  • विरोध की आवाज़ का महत्व: यह ईबुक इस बात पर जोर देती है कि लोकतंत्र में विरोध की आवाज़ कितनी महत्वपूर्ण है और इसे दबाया नहीं जाना चाहिए।

यह ईबुक सिर्फ एक किताब नहीं है, बल्कि हमारे समय का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो आपको हमारे देश की वर्तमान स्थिति को एक नए नजरिए से देखने का मौका देगी।

📌 महत्वपूर्ण: यह ईबुक डाउनलोड के लिए नहीं, बल्कि केवल प्लेटफ़ॉर्म पर ऑनलाइन पढ़ने हेतु उपलब्ध है।

🎯 यदि आप एक निडर पत्रकार की नज़र से हमारे देश की सच्चाई जानना चाहते हैं, तो यह ईबुक आज ही पढ़ें।

"बोलना ही है" किस बारे में है?
यह पुस्तक पत्रकार रवीश कुमार के लेखों और विचारों का संकलन है, जो भारतीय लोकतंत्र, राजनीति, मीडिया और समाज में डर के माहौल पर केंद्रित है।
लेखक इस पुस्तक में किस 'डर' की बात करते हैं?
लेखक उन लोगों के डर की बात करते हैं जो सरकारी नीतियों के बारे में सवाल नहीं उठा पाते और चुप रहना पसंद करते हैं, क्योंकि उन्हें विरोध करने पर सामाजिक और राजनीतिक रूप से निशाना बनाए जाने का डर है।
क्या यह पुस्तक सिर्फ राजनीति पर केंद्रित है?
नहीं, यह पुस्तक सिर्फ राजनीति पर नहीं, बल्कि संस्कृति, नागरिकता, मीडिया की भूमिका और समाज पर इन सबका प्रभाव जैसे व्यापक विषयों पर केंद्रित है।
गोदी मीडिया से लेखक का क्या मतलब है?
लेखक का गोदी मीडिया से मतलब उन मीडिया संस्थानों से है जो सरकार के एजेंडे का समर्थन करते हैं और जनता के बजाय सरकार के हितों की रक्षा करते हैं।
यह पुस्तक पाठक के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
यह पुस्तक पाठक को आलोचनात्मक सोच विकसित करने और यह समझने में मदद करती है कि लोकतंत्र में एक जागरूक और मुखर नागरिक होना क्यों आवश्यक है।

📢 नोटिस (Notice):

 

⚠️ यह ईबुक डाउनलोड के लिए नहीं है। इसे केवल उस प्लेटफ़ॉर्म पर पढ़ा जा सकता है जहाँ यह उपलब्ध है। अगर कोई चार्ज दिखाई दे रहा है, तो वह केवल प्लेटफ़ॉर्म सेवा शुल्क है, ईबुक के लिए कोई भुगतान नहीं है।